मेरी हां थी, उसकी हां थी, उसको तो निभाने की भी चाह | हिंदी शायरी

"मेरी हां थी, उसकी हां थी, उसको तो निभाने की भी चाह थी, अब मै खुद को बेवफा कहूं तो, लोग कहे ये पागल है।।। ©farhan azim"

 मेरी हां थी,
उसकी हां थी,
उसको तो निभाने की भी चाह थी,
अब मै खुद को बेवफा कहूं तो,
लोग कहे ये पागल है।।।

©farhan azim

मेरी हां थी, उसकी हां थी, उसको तो निभाने की भी चाह थी, अब मै खुद को बेवफा कहूं तो, लोग कहे ये पागल है।।। ©farhan azim

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