ग़ज़ल हमारा इश्क़ किसी की समझ मे आ न सका कि हफ़्ते भर | हिंदी Shayari Vide

"ग़ज़ल हमारा इश्क़ किसी की समझ मे आ न सका कि हफ़्ते भर से ज़ियादा कोई निभा न सका मेरे लिए जो हर इक दुख उठाना चाहता था पड़ा जो वक़्त तो वो फोन भी उठा न सका कहाँ तो सोचा था सीने से लग के रोना है मिला तो हाल भी अपना उसे सुना न सका वो जिस की चोट पे आँसू बहा रहे थे हम हमारी मौत का मंज़र उसे रुला न सका कटी जो शाख़ शजर से तो फिर हरी न हुई मैं टूटे दिल से कोई फूल भी खिला न सका ©Rehan Mirza "

ग़ज़ल हमारा इश्क़ किसी की समझ मे आ न सका कि हफ़्ते भर से ज़ियादा कोई निभा न सका मेरे लिए जो हर इक दुख उठाना चाहता था पड़ा जो वक़्त तो वो फोन भी उठा न सका कहाँ तो सोचा था सीने से लग के रोना है मिला तो हाल भी अपना उसे सुना न सका वो जिस की चोट पे आँसू बहा रहे थे हम हमारी मौत का मंज़र उसे रुला न सका कटी जो शाख़ शजर से तो फिर हरी न हुई मैं टूटे दिल से कोई फूल भी खिला न सका ©Rehan Mirza

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