माना कि अब हम साथ नहीं, पहले जैसे जज्बात और एहसास | हिंदी Poetry

"माना कि अब हम साथ नहीं, पहले जैसे जज्बात और एहसास नहीं, गुजर गए वह प्यारे दिन और रात कहीं, खो गया वह चेहरा , अब तेरी याद सही, बदल गए मोहब्बत नफरत में कोई बात नहीं, तू धड़कन है मेरी इस बात से तू अंजान रही, माना कि अब हम साथ नहीं, पर सच कहता हूं मेरी जान, कोई बात नहीं।। ©Ramesh Kumar"

 माना कि अब हम साथ नहीं,
पहले जैसे जज्बात और एहसास नहीं,
गुजर गए वह प्यारे दिन और रात कहीं,
खो गया वह चेहरा , अब तेरी याद सही,
बदल गए मोहब्बत नफरत में कोई बात नहीं,
तू धड़कन है मेरी इस बात से तू अंजान रही,
माना कि अब हम साथ नहीं,
पर सच कहता हूं मेरी जान, कोई बात नहीं।।

©Ramesh Kumar

माना कि अब हम साथ नहीं, पहले जैसे जज्बात और एहसास नहीं, गुजर गए वह प्यारे दिन और रात कहीं, खो गया वह चेहरा , अब तेरी याद सही, बदल गए मोहब्बत नफरत में कोई बात नहीं, तू धड़कन है मेरी इस बात से तू अंजान रही, माना कि अब हम साथ नहीं, पर सच कहता हूं मेरी जान, कोई बात नहीं।। ©Ramesh Kumar

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