"राधे राधे जै श्रीकृष्णा
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अध्यात्म बोध-हर ईंसान के पास आध्यात्मिक शक्ति होती है।
हर ईंसान को अपनी आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करना चाहिए।
हम किसी को अश्लील भरी बातें नहीं करना चाहते परन्तु सामने वाले ये अश्लील लगती है
क्यूं अध्यात्म के कारण
मैने एक पंक्ति लिखी है-लोग मोहब्बत को यूं हि बदनाम करते हैं ,मोहब्बत हि जिंन्दगी है बस देखने का नजरिया सहि होना चाहिए।
इस पंक्ति को अब क्या कहेंगे अश्लीलता या जागरुकता यदि हम मोहब्बत को अश्लील कहते हैं तो प्रेम क्या है साहब।
प्रेम और मोहब्बत दोनो का अर्थ एक हि है केवल शब्द दो हैं।प्रेम अपनो को तो जोड़ता हि है परन्तु"यदि प्रेम भाव से हो जाए तो डायरेक्ट आत्मा को परमात्मा से जोड़ देती है जिसे हम प्रेम कहते हैं।
यदिमनुष्य को प्रेम हो जाए न साहब तो कितनो कि जिन्दगी सवंर जाए
प्रेम जिसे होजाए तो परमात्मा सै मिल जाए
उसका भी नाम मोहब्बत हि है जिसे प्रेम कहते हैं
।।प्रेम से बोलिए राधेकृष्ण।।
©Surendra Kumar Kahar
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