"दोनों ओर प्रेम पलता है
सखि, पतंग भी जलता है
हाँ! दीपक भी जलता है!
बचकर हाय! पतंग मरे क्या?
प्रणय छोड़ कर प्राण धरे क्या?
जले नहीं तो मरा करे क्या?
क्या यह असफ़लता है?
दोनों ओर प्रेम पलता है।"¹
©HintsOfHeart.
#good_night 💖 #मैथिलीशरण_गुप्त
1.मैथिलीशरण गुप्त- 'दोनों ओर प्रेम पलता है' कविता का अंश।