बेवजह उनके पीछे न दौड़ो कभी,जो मुहब्बत तो क्या मान देते नहीं।
भीख में प्रीत उनसे न चाहो कभी,जो भिखारी को भी दान देते नहीं।
छोड़ दो वो सफ़र छोड़ दो मंजिलें,प्यार के बोल दो जँह सुनाई न दें।
सूर्य को छू लिया ऐसा भ्रम हो जिसे,वो किसी को भी सम्मान देते नहीं।
कवि~शिव गोपाल अवस्थी
©Shiv gopal awasthi
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