ना करो हमें याद, की अब ये हिचकी रूकती नहीं, ना दि | हिंदी कविता

"ना करो हमें याद, की अब ये हिचकी रूकती नहीं, ना दिखो हमें गलियों में, की अब ये पलकें झुकती नहीं, पता है, गलती हमारी थी हम ही सरहदों में बंधे रहे, ना करो कोई फरियाद, की इन बंधनो से अब कोई मुक्ति नहीं ©Ruchi Mishra"

 ना करो हमें याद, की 
अब ये हिचकी रूकती नहीं,
ना दिखो हमें गलियों में, की 
अब ये पलकें झुकती नहीं,
पता है, गलती हमारी थी 
हम ही सरहदों में बंधे रहे,
ना करो कोई फरियाद, की 
इन बंधनो से अब कोई मुक्ति नहीं

©Ruchi Mishra

ना करो हमें याद, की अब ये हिचकी रूकती नहीं, ना दिखो हमें गलियों में, की अब ये पलकें झुकती नहीं, पता है, गलती हमारी थी हम ही सरहदों में बंधे रहे, ना करो कोई फरियाद, की इन बंधनो से अब कोई मुक्ति नहीं ©Ruchi Mishra

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