पक्षपात मन में, फिर घर में, फिर कपड़ों में, फिर र

"पक्षपात मन में, फिर घर में, फिर कपड़ों में, फिर रिश्तों में, फिर समाज में, फिर इंसानियत में, फिर दिलो में, फिर दूसरो में, फिर.. न जाने किस किस में।। ©Daksh Jadaun"

 पक्षपात  मन में,
फिर घर में,
फिर कपड़ों में,
फिर रिश्तों में,
फिर समाज में,
फिर इंसानियत में,
फिर दिलो में,
फिर दूसरो में,
फिर.. न जाने किस किस में।।

©Daksh Jadaun

पक्षपात मन में, फिर घर में, फिर कपड़ों में, फिर रिश्तों में, फिर समाज में, फिर इंसानियत में, फिर दिलो में, फिर दूसरो में, फिर.. न जाने किस किस में।। ©Daksh Jadaun

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