सितारा 💠💠💠 यूं हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखत | हिंदी Shayari

"सितारा 💠💠💠 यूं हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं! कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं 💠💠💠 ©Dilip Hindustani narration"

 सितारा 💠💠💠

यूं हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं
कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं
नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं

💠💠💠

©Dilip Hindustani narration

सितारा 💠💠💠 यूं हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं! कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं 💠💠💠 ©Dilip Hindustani narration

mirza ghalib

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