फुहार
होती है प्रेम सी
शीतल जल फुहार
जिसके एहसास से
चेहरे पर आए निखार
इसके स्पर्श से ही
पथराई आंखों में
उठता है ज्वार
सूखी मिट्टी से
महकता है प्यार
जिसके सुगन्ध से
हर दिल होता गुलजार
प्रकृति के इस प्रेम में
शक्ति है अपार
बारिश,झरना, सागर लहरें हो
या हो नदियों की उफनती धार
इसके सानिध्य में
कुछ पल लो गर गुजार
देगी तुम्हें अवसाद से उबार।
©अलका मिश्रा
©alka mishra
#rain