Men walking on dark street ख़्वाब में देखा है तुम्हें जब से"
ख़्वाब में देखा है तुम्हें जब से,बना
के आरज़ू दिल में छुपा के रखा है तब से।
कहां मिलेगी कौन सी सड़क पे
मंज़िल,पूछता रहता था रोज यही रब से।
पता नहीं था इतना मेहरबान भी होता
है रब की खुद मेरी तकदीर भेज देगा घर पे।
©Anuj Ray
ख़्वाब "में देखा है तुम्हें जब से"