White इस दुनियां की चालाकियों से दूर, मैं मासूम ब | हिंदी Shayari

"White इस दुनियां की चालाकियों से दूर, मैं मासूम बनकर रहना चाहता हूं । लालच से भरी इस दुनियां में, मैं बस निस्वार्थ रहना चाहता हूँ ।। वैसे तो लाख वजह हैं मेरे पास भी नशे करने की, मगर इन सब से दूर मैं बस सूफी रहना चाहता हूं । यूँ तो कमी नहीं हमें भीड़ की पर, मैं कुछ सच्चे दोस्तों के साथ रहना चाहता हूं । गलत काम करके पहचान बनाने की बजाय, मैं बनकर शराफत की मिसाल रहना चाहता हूं। हाँ बदमाशी से भरे इस दौर में भी, मैं बनकर बस एक सभ्य इंसान रहना चाहता हूं ।। ©HUMANITY INSIDE"

 White इस दुनियां की चालाकियों से दूर, 
मैं मासूम बनकर रहना चाहता हूं ।
लालच से भरी इस दुनियां में, 
मैं बस निस्वार्थ रहना चाहता हूँ ।।

वैसे तो लाख वजह हैं मेरे पास भी नशे करने की, 
मगर इन सब से दूर मैं बस सूफी रहना चाहता हूं ।
यूँ तो कमी नहीं हमें भीड़ की पर,
मैं कुछ सच्चे दोस्तों के साथ रहना चाहता हूं ।

गलत काम करके पहचान बनाने की बजाय, 
मैं बनकर शराफत की मिसाल रहना चाहता हूं।
हाँ बदमाशी से भरे इस दौर में भी, 
मैं बनकर बस एक सभ्य इंसान रहना चाहता हूं ।।

©HUMANITY INSIDE

White इस दुनियां की चालाकियों से दूर, मैं मासूम बनकर रहना चाहता हूं । लालच से भरी इस दुनियां में, मैं बस निस्वार्थ रहना चाहता हूँ ।। वैसे तो लाख वजह हैं मेरे पास भी नशे करने की, मगर इन सब से दूर मैं बस सूफी रहना चाहता हूं । यूँ तो कमी नहीं हमें भीड़ की पर, मैं कुछ सच्चे दोस्तों के साथ रहना चाहता हूं । गलत काम करके पहचान बनाने की बजाय, मैं बनकर शराफत की मिसाल रहना चाहता हूं। हाँ बदमाशी से भरे इस दौर में भी, मैं बनकर बस एक सभ्य इंसान रहना चाहता हूं ।। ©HUMANITY INSIDE

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