White {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान श्री कृ | हिंदी मोटिवेशनल V

"White {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान श्री कृष्ण हैं :- जिन के परम मंगलमय स्वरूप का दर्शन करने के लिए महात्मा गण संसार की समस्त आसक्तियों का परित्याग कर देतें है और वन में जाकर अखंड भाव से ब्रह्मचर्य आदि अलौकिक व्रतों का पालन करते हैं। तथा अपने आत्मा को सबके हृदय में विराजमान देखकर स्वाभाविक ही सबकी भलाई करते हैं- वे ही मुनियों के सर्वस्व भगवान मेरे सहायक हैं, वे ही मेरी गति हैं। न उनके जन्म-कर्म हैं, और न नाम-रूप फिर उनके सम्बन्ध में गुण और दोषों की तो कल्पना ही कैसे की जा सकती हैं?फिर भी विश्व की सृष्टि और संहार करने के लिए समय-समय पर वे उन्हें अपनी माया से स्वीकार करते हैं। उन्हीं अनंत शक्तिमान सर्वेश्वर्यमय परब्रह्म परमात्मा को मैं नमस्कार करता हूँ। वो अरूप होने पर भी बहुरूप हैं। उनके कर्म अत्यंत आश्चर्यमय हैं। मैं उनके चरणों में नमस्कार करता हूँ। ©N S Yadav GoldMine "

White {Bolo Ji Radhey Radhey} सब कुछ भगवान श्री कृष्ण हैं :- जिन के परम मंगलमय स्वरूप का दर्शन करने के लिए महात्मा गण संसार की समस्त आसक्तियों का परित्याग कर देतें है और वन में जाकर अखंड भाव से ब्रह्मचर्य आदि अलौकिक व्रतों का पालन करते हैं। तथा अपने आत्मा को सबके हृदय में विराजमान देखकर स्वाभाविक ही सबकी भलाई करते हैं- वे ही मुनियों के सर्वस्व भगवान मेरे सहायक हैं, वे ही मेरी गति हैं। न उनके जन्म-कर्म हैं, और न नाम-रूप फिर उनके सम्बन्ध में गुण और दोषों की तो कल्पना ही कैसे की जा सकती हैं?फिर भी विश्व की सृष्टि और संहार करने के लिए समय-समय पर वे उन्हें अपनी माया से स्वीकार करते हैं। उन्हीं अनंत शक्तिमान सर्वेश्वर्यमय परब्रह्म परमात्मा को मैं नमस्कार करता हूँ। वो अरूप होने पर भी बहुरूप हैं। उनके कर्म अत्यंत आश्चर्यमय हैं। मैं उनके चरणों में नमस्कार करता हूँ। ©N S Yadav GoldMine

#love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey}
सब कुछ भगवान श्री कृष्ण हैं :-
जिन के परम मंगलमय स्वरूप का दर्शन करने के लिए महात्मा गण संसार की समस्त आसक्तियों का परित्याग कर देतें है और वन में जाकर अखंड भाव से ब्रह्मचर्य आदि अलौकिक व्रतों का पालन करते हैं। तथा अपने आत्मा को सबके हृदय में विराजमान देखकर स्वाभाविक ही सबकी भलाई करते हैं- वे ही मुनियों के सर्वस्व भगवान मेरे सहायक हैं, वे ही मेरी गति हैं। न उनके जन्म-कर्म हैं, और न नाम-रूप फिर उनके सम्बन्ध में गुण और दोषों की तो कल्पना ही कैसे की जा सकती हैं?फिर भी विश्व की सृष्टि और संहार करने के लिए समय-समय पर वे उन्हें अपनी माया से स्वीकार करते हैं। उन्हीं अनंत शक्तिमान सर्वेश्वर्यमय परब्रह्म परमात्मा को मैं नमस्कार करता हूँ। वो अरूप होने पर भी बहुरूप हैं। उनके कर्म अत्यंत आश्चर्यमय हैं। मैं उनके चरणों में नमस्कार करता हूँ।

People who shared love close

More like this

Trending Topic