अनजान राह में पैर धरने लगा हूँ
एक अजनबी दोस्त से बात करने लगा हूँ
न आँखे , न होंठ, न सूरत मालूम है
फिर भी धीरे - धीरे विश्वास करने लगा हूँ
पता नहीं वो चेहरा भी है या कोई दिखावा
इसलिय कोई गहरी बात से डरने लगा हूँ
शायद जरूरत है उसे किसी सहारे की अब
इसलिए मैं अपना कन्धा आगे करने लगा हूँ
न जानें और कितने दिन तक बात होगी
इसलिए पहले से ही धैर्य धरने लगा हूँ
लाभ-हानि की फिक्र न कर 'हनी' क्योंकि
मैं ज़िन्दगी का नया पाठ पढ़ने लगा हूँ
©gurvinder gulab
#unknown #Friend
अजनबी दोस्त