ग़ज़ल
न मुश्किल समझ अब मुलाकात करना ।
मगर सोच ले दिल तू क्या बात करना ।।
बुरा मत समझ तू यहाँ काम कोई ।
मिले काम जो भी शुरूआत करना ।।
न सोचा हुआ है जहाँ में किसी का ।
तो फिर क्यों खुदा से सवालात करना ।।
किसी के लिए मत परेशान होना ।
खुदा जानता है कहाँ रात करना ।।
चले काम जैसे चला ले यहाँ तू ।
नहीं स्वार्थ में तू कभी घात करना ।।
सँभल कर रहो लोग मीठे बहुत हैं ।
बयाँ उनसे दिल के न जज़्बात करना ।।
प्रखर चाहते हो अगर तुम सिया को ।
नहीं दूर उसके ख़यालात करना ।।
२८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल
न मुश्किल समझ अब मुलाकात करना ।
मगर सोच ले दिल तू क्या बात करना ।।
बुरा मत समझ तू यहाँ काम कोई ।
मिले काम जो भी शुरूआत करना ।।