क्यों ना हम कुछ ऐसी दिवाली मनाए जिसमें "मैं" नहीं

"क्यों ना हम कुछ ऐसी दिवाली मनाए जिसमें "मैं" नहीं "हम सब" आये वो माँ के हाथ की मिठाई पड़ोसी के घर-घर पहुँचाये सब के मन में खुशियाँ झलकायें क्यों ना हम वैसी दिवाली मनाएं!! बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद को क्यों न जेब में धीरे से छुपाएं, आतिशबाज़ी शोरशराबा नहीं नए सोच के दीप की ज्योत जलायें क्यों न हम वैसी दिवाली मनाएं!! उन पलों को मोबाइल कैमरे में नहीं, अपनी यादों में समेटे जिन्हें चाह के भी न हटा पाएं क्यों न हम वैसी दिवाली मनाये!! नफरत के विलोम को अपनाएं मन को दीपक की लौ सा शांत बनाएं, क्यों न ये दिवाली भी वैसी मनायें!!"

 क्यों ना हम कुछ ऐसी दिवाली मनाए जिसमें "मैं" नहीं "हम सब" आये वो माँ के हाथ की मिठाई पड़ोसी के घर-घर पहुँचाये
सब के मन में खुशियाँ झलकायें क्यों ना हम वैसी दिवाली मनाएं!!
बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद को क्यों न जेब में धीरे से छुपाएं,
आतिशबाज़ी शोरशराबा नहीं
नए सोच के दीप की ज्योत जलायें
क्यों न हम वैसी दिवाली मनाएं!!
उन पलों को मोबाइल कैमरे में नहीं,
अपनी यादों में समेटे जिन्हें चाह के भी न हटा पाएं
क्यों न हम वैसी दिवाली मनाये!!
नफरत के विलोम को अपनाएं
मन को दीपक की लौ सा शांत बनाएं,
क्यों न ये दिवाली भी वैसी मनायें!!

क्यों ना हम कुछ ऐसी दिवाली मनाए जिसमें "मैं" नहीं "हम सब" आये वो माँ के हाथ की मिठाई पड़ोसी के घर-घर पहुँचाये सब के मन में खुशियाँ झलकायें क्यों ना हम वैसी दिवाली मनाएं!! बड़े बुजुर्गों के आशीर्वाद को क्यों न जेब में धीरे से छुपाएं, आतिशबाज़ी शोरशराबा नहीं नए सोच के दीप की ज्योत जलायें क्यों न हम वैसी दिवाली मनाएं!! उन पलों को मोबाइल कैमरे में नहीं, अपनी यादों में समेटे जिन्हें चाह के भी न हटा पाएं क्यों न हम वैसी दिवाली मनाये!! नफरत के विलोम को अपनाएं मन को दीपक की लौ सा शांत बनाएं, क्यों न ये दिवाली भी वैसी मनायें!!

#happydiwali

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