रेत के घर बनाते रहते हैं"
तुम्हीं को इश्क़ मेरी
जान,मोहब्बत तुम्हीं को कहते हैं।
पकाते हैं खिचड़ी अधेड़
धुन में, ज़िन्दगी तुम ही को कहते हैं।
डरते हैं ख़्वाब टूट के बह जाए न
पानी में, फिर भी रेत के घर बनाते रहते हैं।
©Anuj Ray
# रेत के घर बनाते रहते हैं"