इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई
क्या वो दिन भी दिन हैं जिनमें दिन भर जी घबराए
क्या वो रातें भी रातें हैं जिनमें नींद ना आए
हम भी हैं बनवास में लेकिन राम नहीं हैं राही
आए अब समझाकर हमको कोई घर ले जाए
ज़िंदगी ढूँढ़ ले तू भी किसी दीवाने को
जिसके गेसू मेरे प्यार ने सुलझाए
©madhurima
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई