उम्र भर की कमाई चंद सिक्कों की
खंनखनाहट मुझे वो मुकाम न दे पाई
जिसके पीछे मैंने सारी उम्र यूँ ही गंवाई
फिर मिला क्या मुझे इस सवाल ने जीना
मेरा दूबर कर दिया , वर्षो से चुप बैठी आत्मा
ने ही , जब मुझसे ही सवाल कर दिया,
खोज रहा उपलब्धियों को, तो बस दौलत
ही नजर आयी,लोग मुझसे दूर जा चुके थे,
मेरे चारों और, तो बस खामोशी ही नजर आयी
क्या मिला मुझको बात अब समझ में आई
दौलत से बड़ी है मानवता ,व्यवहार ही
है , सबसे बड़ी कमाई|
©पथिक..
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