दिल की गलियों में " दिल की गलियों में आज, एक अजन | हिंदी कविता Vi

"दिल की गलियों में " दिल की गलियों में आज, एक अजनबी मेहमान बन के आया है। लगता है खोया था जिसके ख़्वाब में, आकर उसी ने नींद से जगाया है। हैरान हूं मैं दर पे उसको देखकर, ऐ किस जनम के पुण्य का फल पाया है। किसी तरह गुजर रहे थे ज़िन्दगी के दिन, मुफलिसी के दौर में तकदीर बन के आया है। ©Anuj Ray "

दिल की गलियों में " दिल की गलियों में आज, एक अजनबी मेहमान बन के आया है। लगता है खोया था जिसके ख़्वाब में, आकर उसी ने नींद से जगाया है। हैरान हूं मैं दर पे उसको देखकर, ऐ किस जनम के पुण्य का फल पाया है। किसी तरह गुजर रहे थे ज़िन्दगी के दिन, मुफलिसी के दौर में तकदीर बन के आया है। ©Anuj Ray

दिल की गली में,"

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