शीश पर चंद्र विराजे, मां चंद्रघंटा कहलाती ।
तृतीय रुप में माता, जग में बड़ी सुहाती ।।
अलौकिक, अविकारी, मां है कल्याणकारी ।
जब भी भक्त पुकारे, आ जाती मां हमारी ।।
जब-जब संकट आया, देवों ने मां को बुलाया ।
एक पुकार पर मां ने, हर संकट दूर भगाया ।।
दैत्यों के है संहारकारी , भक्तों के लिए है प्यारी l
बड़ी ही करुणामयी है, जगजननी मां हमारी ।।
©Shivkumar
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