....हसरतें टूटी , ख्वाब टूटे , दो कदम चलकर फिर हा | हिंदी Shayari

"....हसरतें टूटी , ख्वाब टूटे , दो कदम चलकर फिर हाथ छूटे , रंज नहीं , किसी हम-नफ़स से पर न जाने क्यों , अब इन सब में मेरा दम घुटे........ ©BIKASH SINGH"

 ....हसरतें टूटी ,
ख्वाब टूटे ,
दो कदम चलकर 
फिर हाथ छूटे ,
रंज नहीं ,
किसी हम-नफ़स से 
पर न जाने क्यों ,
अब इन सब में 
मेरा दम घुटे........

©BIKASH SINGH

....हसरतें टूटी , ख्वाब टूटे , दो कदम चलकर फिर हाथ छूटे , रंज नहीं , किसी हम-नफ़स से पर न जाने क्यों , अब इन सब में मेरा दम घुटे........ ©BIKASH SINGH

#दम_घुटे.....

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