ए खुदा उस कलम को स्याही ना दे जो सजा ही लिखे रिहाई | हिंदी शायरी

"ए खुदा उस कलम को स्याही ना दे जो सजा ही लिखे रिहाई न दे उस आईने को ही तोड़ दो जिसमें अच्छा बुरा दिखाई ना दे"

 ए खुदा उस कलम को स्याही ना दे जो सजा ही लिखे रिहाई न दे उस आईने को ही तोड़ दो जिसमें अच्छा बुरा दिखाई ना दे

ए खुदा उस कलम को स्याही ना दे जो सजा ही लिखे रिहाई न दे उस आईने को ही तोड़ दो जिसमें अच्छा बुरा दिखाई ना दे

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