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विधा- कुंडलियाँ
फैली जग में आधुनिकता, बिखर रहे परिवार।
शहरी होते सुत सभी, जला स्नेह संसार।।
जला स्नेह संसार, तजे घर पितु अरु माता।
नहीं हृदय में प्रेम, टूटता सबसे नाता।।
कलयुग चलता चाल, सोच क्यों होती मैली।
बना रहे परिवार, मधुर मृदु खुशियाँ फैली।।
सुनीता सिंह सरोवर
©Sunita Singh
#love_shayari