White दोहा :-
जितने जीवन पल मिले , उतने पल कर प्यार ।
टूट नहीं जाएँ कहीं , साँसों के फिर तार ।।१
बच्चे तो हम बन गये , रहा न वह पर ठाठ ।
अब तो कुछ बाकी नहीं, आयु हो गई साठ ।।२
अपने जीवन का नहीं, सुन ले कोई मोल ।
दिन भर बच्चे डाँटते , सोच समझ के बोल ।।३
मातु-पिता हम थे कभी, जाओ अब तो भूल।
काँटा बन अब सुत चुभे , कल तक थे जो फूल ।।४
ऐसी बातें सोचकर , हम तो थे आबाद ।
बच्चों से ही सुख मिले , क्या करते फरियाद ।।५
जीवन की इस सोच ने , किया हमें नाशाद ।
आयेंगे दिन लौट फिर , देख हुए बरबाद ।।६
०२/०५/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :-
जितने जीवन पल मिले , उतने पल कर प्यार ।
टूट नहीं जाएँ कहीं , साँसों के फिर तार ।।१