सब करती...ना कुछ कहती है.. जैसे कह दो..वो रहती है.

"सब करती...ना कुछ कहती है.. जैसे कह दो..वो रहती है.. तू जाने.. तु मतवाला है.. पर जलती हुई..वो ज्वाला है.. हो सकती है वो.. अस्त्र-शस्त्र.. मापो मत...उसके वस्त्र - वस्त्र... कभी है ममता...कभी चंचलता... मन में उसके...है निर्मलता.... कभी अन्नपूर्णा...है जननी... पवित्र है...जैसे हो अग्नि... सब त्याग उसने है...पल - पल... पर स्वच्छ मन है....जैसे जल.. तुम कद्र करो... सम्मान दो.... उसे स्त्री होने का....स्वाभिमान दो... ©Meghna Tiwari"

 सब करती...ना कुछ कहती है..
जैसे कह दो..वो रहती है..

तू जाने.. तु मतवाला है..
पर जलती हुई..वो ज्वाला है..

हो सकती है वो.. अस्त्र-शस्त्र..
मापो मत...उसके वस्त्र - वस्त्र...

कभी है ममता...कभी चंचलता...
मन में उसके...है निर्मलता....

कभी अन्नपूर्णा...है जननी...
पवित्र है...जैसे हो अग्नि...

सब त्याग उसने है...पल - पल...
पर स्वच्छ मन है....जैसे जल..

तुम कद्र करो... सम्मान दो....
उसे स्त्री होने का....स्वाभिमान दो...

©Meghna Tiwari

सब करती...ना कुछ कहती है.. जैसे कह दो..वो रहती है.. तू जाने.. तु मतवाला है.. पर जलती हुई..वो ज्वाला है.. हो सकती है वो.. अस्त्र-शस्त्र.. मापो मत...उसके वस्त्र - वस्त्र... कभी है ममता...कभी चंचलता... मन में उसके...है निर्मलता.... कभी अन्नपूर्णा...है जननी... पवित्र है...जैसे हो अग्नि... सब त्याग उसने है...पल - पल... पर स्वच्छ मन है....जैसे जल.. तुम कद्र करो... सम्मान दो.... उसे स्त्री होने का....स्वाभिमान दो... ©Meghna Tiwari

#womensday2021

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