White मिलकर मुझसे वो ऐसे लौट जाती है
बहते पानी से जैसे धरा लौट जाती है
ग़ालिबन उसे मोहब्बत थी किसी से
समझ धूप मुझे बो झाओ लौट जाती है
बहते पानी की चमकती रैत जैसी बो है
आँखो आँखो मे मिट्टी सी बैठ जाती है
भर आँखो मे आंशू भुलाया है उसे अब्दुल
ये बरसात भी मगर शिने मे बैठ जाती है
©Khan Shahb
#sad_shayari मिया भाई