नफरत का नीरज' अब कान्हा, 'मन के सरोवर' पलता है।। | हिंदी कविता Video

"'नफरत का नीरज' अब कान्हा, 'मन के सरोवर' पलता है।। 'प्रेम-जूही' का कोमल पौधा श्मशान में उगता है।। दिल में फिर से प्रीत बसाने, लीला करने आ जाओ।। ओ! मुरलीधर, कृष्ण-कन्हैया, एक बार फिर आ जाओ।। @poetryofsoul ©Shashank मणि Yadava "सनम" "

'नफरत का नीरज' अब कान्हा, 'मन के सरोवर' पलता है।। 'प्रेम-जूही' का कोमल पौधा श्मशान में उगता है।। दिल में फिर से प्रीत बसाने, लीला करने आ जाओ।। ओ! मुरलीधर, कृष्ण-कन्हैया, एक बार फिर आ जाओ।। @poetryofsoul ©Shashank मणि Yadava "सनम"

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