फर्क था दोनों की मोहब्बत में , दोनों मजबूरियों में | हिंदी शायरी

"फर्क था दोनों की मोहब्बत में , दोनों मजबूरियों में खड़े थे।। कुछ मेरी जेब खाली थे , कुछ उसके ख्वाब बड़े थे ।। -अरमान हंस"

 फर्क था दोनों की मोहब्बत में , दोनों मजबूरियों में खड़े थे।।
कुछ मेरी जेब खाली थे , कुछ उसके ख्वाब बड़े थे ।।

 -अरमान हंस

फर्क था दोनों की मोहब्बत में , दोनों मजबूरियों में खड़े थे।। कुछ मेरी जेब खाली थे , कुछ उसके ख्वाब बड़े थे ।। -अरमान हंस

फर्क था दोनों की मोहब्बत में , दोनों मजबूरियों में खड़े थे।
कुछ मेरी जेब खाली थे , कुछ उसके ख्वाब बड़े थे ।

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