घर से बाहर जब भी जाना, बस औरत के सामने मुस्कुराना, | हिंदी कविता

"घर से बाहर जब भी जाना, बस औरत के सामने मुस्कुराना, ज़रा सा ही सही पर उन्हें सम्मान देना, और बदले में ज्यादा प्यार उनसे पाना, जब अकेले कभी वो बाहर जाएं, उसके आस पास रहकर , उसे सुरक्षित महसूस कराना, वो बदले में सबसे प्यार और सम्मान ही चाहती हैं, बिना डरे वो हर जगह निडर जाना चाहती है, ज्यादा कुछ तो नहीं एक औरत बस यही तो चाहती है।"

 घर से बाहर जब भी जाना,
बस औरत के सामने मुस्कुराना,
ज़रा सा ही सही पर उन्हें सम्मान देना,
 और बदले में ज्यादा प्यार उनसे पाना,
जब अकेले कभी वो बाहर जाएं,
उसके आस पास रहकर ,
उसे सुरक्षित महसूस कराना,
वो बदले में सबसे प्यार और सम्मान ही चाहती हैं,
बिना डरे वो हर जगह निडर जाना चाहती है,
ज्यादा कुछ तो नहीं एक औरत बस यही तो चाहती है।

घर से बाहर जब भी जाना, बस औरत के सामने मुस्कुराना, ज़रा सा ही सही पर उन्हें सम्मान देना, और बदले में ज्यादा प्यार उनसे पाना, जब अकेले कभी वो बाहर जाएं, उसके आस पास रहकर , उसे सुरक्षित महसूस कराना, वो बदले में सबसे प्यार और सम्मान ही चाहती हैं, बिना डरे वो हर जगह निडर जाना चाहती है, ज्यादा कुछ तो नहीं एक औरत बस यही तो चाहती है।

एक औरत बस यही तो चाहती है part-२💕
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