सफ़र थामा राहो का हाथ और हम सफर पर चल दिए ।
तोड़ संसार के सारे बंधन हम खुद की तलास में चल दिए ।
छोड़ हम इन चमकती गालियों को , हम सर्द रातों में सितारे देखने चल दिए ।
चमकती बिजलियों को छोड़ हम जुगनूओ की तलास में चल दिए।
कितनों ने चाहा हमें ना जाने कितनो को हमने चाहा है , लाख है सीने में दर्द हम सबको भूलने चल दिए।
भूत भविष्य वर्तमान लोभ लालसा और सम्मान इन सब को मिटा कर हम खुद ही खुद का आस्तित्व मिटने चल दिए ।
©adi
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