हम जब भी पढ़ते हैं ग़ज़ल तुम पर,
महफ़िल से उठकर चले जाते हो तुम..........
मेरी जान इतना गुरूर भी अच्छा नहीं,
आखिर इतना क्यों इतराते हो तुम.............
और जब करते हैं हम तारीफ तुम्हारी,
महफ़िल में ग़ज़ल को पढ़ते-पढ़ते.............
महफ़िल से चले जाने का बहाना करके,
पलट कर देखकर मुस्कुराते हो तुम............
©Poet Maddy
हम जब भी पढ़ते हैं ग़ज़ल तुम पर,
महफ़िल से उठकर चले जाते हो तुम..........
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