तो क्या हर कदम पर पापा या भाई को साथ जाना होगा
पर कब तक ..................
शायद तब तक ,
जब तक दुनिया ये नहीं समझ जाती कि
बेटी तेरी या मेरी नहीं ,हमारी है
वो मौका नहीं जिम्मेदारी है
जब हर मोड़ पर हर बेटी का ध्यान रखा जायेगा
हर सभ्य पुरुष खुद को ,पिता या भाई पाएगा
देख लेना जल्द ही फिर ऐसा दिन भी आयेगा
हैवानियत करने वालों का नामोनिशान मिट जायेंगा
लंका दहन और महाभारत उन्हें अच्छे से समझ आ जायेगा
©Prachii Deepak Goel
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