ना ग़मों का शोर ना ज़िन्दगी की उधेड़बुन इक मर्तबा ही | हिंदी Shayari

"ना ग़मों का शोर ना ज़िन्दगी की उधेड़बुन इक मर्तबा ही ग़ौर से खुद को भी कभी सुन ©Saurabh Srijan"

 ना ग़मों का शोर
ना ज़िन्दगी की उधेड़बुन
इक मर्तबा ही ग़ौर से
खुद को भी कभी सुन

©Saurabh Srijan

ना ग़मों का शोर ना ज़िन्दगी की उधेड़बुन इक मर्तबा ही ग़ौर से खुद को भी कभी सुन ©Saurabh Srijan

#sadquotes poetry

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