मैं इस ग़म की तादाद से बिखर जाता उम्मीदों ने ज़िंदा

"मैं इस ग़म की तादाद से बिखर जाता उम्मीदों ने ज़िंदा रखा,वरना मर जाता राह दिलकश थी,मुझे चलते रहना था मैं अगर जो रुकता तो सफ़र मर जाता सूरज थक के डूबता,चाँद छुप जाता, और मैं भी तो लौट के अपने घर जाता मेरा हर ख्याल तेरा ही प्यासा है शायद गर तुझ तक ना जाता तो किधर जाता "

 मैं इस ग़म की तादाद से बिखर जाता
उम्मीदों ने ज़िंदा रखा,वरना मर जाता
राह दिलकश थी,मुझे चलते रहना था 
मैं अगर जो रुकता तो सफ़र मर जाता
सूरज थक के डूबता,चाँद छुप जाता,
और मैं भी तो लौट के अपने घर जाता
मेरा हर ख्याल तेरा ही प्यासा है शायद
गर तुझ तक ना जाता तो किधर जाता

मैं इस ग़म की तादाद से बिखर जाता उम्मीदों ने ज़िंदा रखा,वरना मर जाता राह दिलकश थी,मुझे चलते रहना था मैं अगर जो रुकता तो सफ़र मर जाता सूरज थक के डूबता,चाँद छुप जाता, और मैं भी तो लौट के अपने घर जाता मेरा हर ख्याल तेरा ही प्यासा है शायद गर तुझ तक ना जाता तो किधर जाता

उम्मीदों ने ज़िंदा रखा, वरना मर जाता
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