पल्लव की डायरी
सर्व व्यापी अहिंसा ही,
जग को जीवित कर सकती है
लालच की प्रवर्ति विध्वंसक हो चली
रुदन जल थल नभ के जीव करते है
प्रतिपादित है सिद्धान्त महावीर के
जियो और जीने दो का प्रतिफल
जीने की चाह जीवो में भर सकती है
अणु व्रतों की ओर जीवन मोड़कर
परमाणुओं विस्फोटक शक्ति आत्म रूप में
भगवत रूप में महावीर बन सकती है
जन्म मरण के काल चक्र से मुक्ति हो सकती है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#God अणुव्रतों की ओर जीवन मोड़कर
#nojotohindi