ढलती उम्र इमारत को घर बनाता हुए जो बूढ़ा हुआ, एक

"ढलती उम्र इमारत को घर बनाता हुए जो बूढ़ा हुआ, एक दिन उसी घर से निकाला गया। बेसक संभाला नशा इस जहां का तुमने, जो जरूरी था वो संभाला न गया। रह गए दुनिया की सानो-सौकत में व्यस्त, इस दुनिया में जो लाया वो भुलाया गया। बनाने लगे सान इस बनावटी दुनिया के बीच, जिसने तुमको बनाया उसे क्यों भुलाया गया। होने लगे इस दुनिया की भाग दौड़ में व्यस्त, जिसने चलना सिखाया उसे क्यों भुलाया गया। समझने लगे दुनिया में अच्छा बुरा सब, जिसने अच्छा-बुरा समझाया उसे क्यों भुलाया गया। चलने लगे दुनिया की चाल में बेझिजक, जिसने चलना सिखाया उसे क्यों भुलाया गया। ©Neeraj Mishra"

 ढलती उम्र

इमारत को घर बनाता हुए जो बूढ़ा हुआ,
एक दिन उसी घर से निकाला गया।

बेसक संभाला नशा इस जहां का तुमने,
जो जरूरी था वो संभाला न गया।

रह गए  दुनिया की सानो-सौकत में व्यस्त,
इस दुनिया में जो लाया वो भुलाया गया।

बनाने लगे सान इस बनावटी दुनिया के बीच,
जिसने तुमको बनाया उसे क्यों भुलाया गया।

होने लगे इस दुनिया की भाग दौड़ में व्यस्त,
जिसने चलना सिखाया उसे क्यों भुलाया गया।

समझने लगे दुनिया में अच्छा बुरा सब,
जिसने अच्छा-बुरा समझाया उसे क्यों भुलाया गया।

चलने लगे दुनिया की चाल में बेझिजक,
जिसने चलना सिखाया उसे क्यों भुलाया गया।

©Neeraj Mishra

ढलती उम्र इमारत को घर बनाता हुए जो बूढ़ा हुआ, एक दिन उसी घर से निकाला गया। बेसक संभाला नशा इस जहां का तुमने, जो जरूरी था वो संभाला न गया। रह गए दुनिया की सानो-सौकत में व्यस्त, इस दुनिया में जो लाया वो भुलाया गया। बनाने लगे सान इस बनावटी दुनिया के बीच, जिसने तुमको बनाया उसे क्यों भुलाया गया। होने लगे इस दुनिया की भाग दौड़ में व्यस्त, जिसने चलना सिखाया उसे क्यों भुलाया गया। समझने लगे दुनिया में अच्छा बुरा सब, जिसने अच्छा-बुरा समझाया उसे क्यों भुलाया गया। चलने लगे दुनिया की चाल में बेझिजक, जिसने चलना सिखाया उसे क्यों भुलाया गया। ©Neeraj Mishra

#DarkWinters #mythaughts

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