White वक्त ने हमें कितना दूर कर दिया है,
तुम्हें बेबस और मुझे मजबूर कर दिया है।
तुम भी आहें भरती हो ग़म ए फुर्क़त में,
मुझे भी दर्द ए हिज़्र ने चूर कर दिया है।
इतनी बेरुखी से रुख़ बदला है वक्त ने,
के हमारे ज़ख़्मों को नासूर कर दिया है।
खामोश रहती हो तुम और चुप मैं भी हूँ,
दिलों के चीखों में इज़ाफ़ा ज़रूर कर दिया है।
अश्कों को छुपाए अफ्सूरदगी में डूबीं रहती हो,
इस दौर ने ग़मो को बा दस्तूर कर दिया है।
©Aarzoo smriti
#Waqt ne hume kitna door kr diya h