White भाग्य में लिखा हो जब चोर,
कहाँ बने कोई सिपहिया जी..
न बांट सके दुख कोई और,
जब चले कर्म का पहिया जी..
बबूल पे न आये आम के बौर,
बात गाँठ बांध लो भईया जी..
लग जाये न कोई कलंक सिरमौर,
देता समय सदा गवहिया जी..
निरोगी तन हो जीवन में ठौर,
मन तो चाहे नेह की छैयां जी..
करें जो प्रारब्ध कर्मो पे गौर,
सदकर्मो से पार लगती नैया जी..
©Chanchal's poetry
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