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अपने कदमों से बड़ी-बड़ी चट्टानों को रौंदकर रेत कर दूंगा मैं,
पिताजी ने सिखाया है ईमानदारी और खुद्दारी से भरे ज़मीर का वजन बहुत ज्यादा होता है,
नासमझ नहीं समझ पाएंगे संदीप का लिखा हुआ और समझदार के लिए तो इशारा ही काफी होता है
©Sandeep Raghuvanshi
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