अ जाते हुए मुसाफिर उसे कहना हम उसे याद करते हैं उ

"अ जाते हुए मुसाफिर उसे कहना हम उसे याद करते हैं उसे कहना मिलना तो इस जहां में अब मुमकिन नहीं लेकिन ख्वाबों में मिल सके तो उसे कहना उसे कहना कि गर्मियों की गर्म लूं में उसकी तलाश की है, सर्दियों की सर्द हवाओं में उसकी तलाश की है बसंत के फूलों में, पतझड़ के वीरान बगीचों में, बरसात के पानी कि बूंदो में उसकी तलाश की है, कोयल की बोली में, पंछियों की चरचाहट में, संगीत में राग में, दुख में, सुख में, अकेले में, भीड़ में, उसकी तलाश की है उसे कहना कि मैं बादल बन के उसके शहर में आऊंगा वो बरसात बन सके तो उसे कहना मिलना तो अब इस जहां में मुमकिन नहीं लेकिन जन्नत के पार मिल सको तो उसे कहना कि उसके दिए गुलाबो की खुशबू आज भी उसके खतों से आती है उसके लिखें लफ्जों से स्याही की खुशबू आज भी उसके खतों से आती है एक तूफ़ान सा ज़हन में उठता है जब उसकी याद आती हैं हम उसके शहर में आएंगे, अगर वो मिलने का कोई बहाना बना सके तो उसे कहना। अ जाते हुए मुसाफिर उसे कहना हम आज भी उसे याद करते हैं उसे कहना ©Gumnaam"

 अ जाते हुए मुसाफिर उसे कहना 
हम उसे याद करते हैं उसे कहना
 
मिलना तो इस जहां में अब मुमकिन नहीं लेकिन
ख्वाबों में मिल सके तो उसे कहना

उसे कहना कि गर्मियों की गर्म लूं में उसकी तलाश की है, सर्दियों की सर्द हवाओं में उसकी तलाश की है
बसंत के फूलों में, पतझड़ के वीरान बगीचों में, बरसात के पानी कि बूंदो में उसकी तलाश की है,
कोयल की बोली में, पंछियों की चरचाहट में, संगीत में राग में, दुख में, सुख में, अकेले में, भीड़ में, उसकी तलाश की है
उसे कहना
कि मैं बादल बन के उसके शहर में आऊंगा वो बरसात बन सके तो उसे कहना 
मिलना तो अब इस जहां में मुमकिन नहीं लेकिन
जन्नत के पार मिल सको तो उसे कहना

कि उसके दिए गुलाबो की खुशबू आज भी उसके खतों से आती है 
उसके लिखें लफ्जों से स्याही की खुशबू आज भी उसके खतों से आती है
एक तूफ़ान सा ज़हन में उठता है जब उसकी याद आती हैं 
हम उसके शहर में आएंगे,
अगर वो मिलने का कोई बहाना बना सके तो उसे कहना।

अ जाते हुए मुसाफिर उसे कहना
हम आज भी उसे याद करते हैं उसे कहना

©Gumnaam

अ जाते हुए मुसाफिर उसे कहना हम उसे याद करते हैं उसे कहना मिलना तो इस जहां में अब मुमकिन नहीं लेकिन ख्वाबों में मिल सके तो उसे कहना उसे कहना कि गर्मियों की गर्म लूं में उसकी तलाश की है, सर्दियों की सर्द हवाओं में उसकी तलाश की है बसंत के फूलों में, पतझड़ के वीरान बगीचों में, बरसात के पानी कि बूंदो में उसकी तलाश की है, कोयल की बोली में, पंछियों की चरचाहट में, संगीत में राग में, दुख में, सुख में, अकेले में, भीड़ में, उसकी तलाश की है उसे कहना कि मैं बादल बन के उसके शहर में आऊंगा वो बरसात बन सके तो उसे कहना मिलना तो अब इस जहां में मुमकिन नहीं लेकिन जन्नत के पार मिल सको तो उसे कहना कि उसके दिए गुलाबो की खुशबू आज भी उसके खतों से आती है उसके लिखें लफ्जों से स्याही की खुशबू आज भी उसके खतों से आती है एक तूफ़ान सा ज़हन में उठता है जब उसकी याद आती हैं हम उसके शहर में आएंगे, अगर वो मिलने का कोई बहाना बना सके तो उसे कहना। अ जाते हुए मुसाफिर उसे कहना हम आज भी उसे याद करते हैं उसे कहना ©Gumnaam

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