इश्क़ का तो मालूम नहीं
ज़रूरत बनने लगे हो तुम
ज़िंदगी भर का तो मालूम नहीं
हर सुबह का साथ बन गए हो तुम
अमुमन तो रास्ता बदल लिया करते थे
ये क्यू है कि रोज़ ही मिलने लगे हो तुम
दबी किसी चाहत का, चेहरा बनने लगे हो तुम
शायद चुन रही हूँ, नए दर्द मैं, और ज़रिया बनने लगे हो तुम
©NV Largotra
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