(माँ) मुझे अब कोई भी मानने नहीं आता, तड़पते दिल | हिंदी शायरी Video

"(माँ) मुझे अब कोई भी मानने नहीं आता, तड़पते दिल को दिलासा दिलाने नहीं आता! वो तो माँ ही थी जो उठाती थी प्यार से , अब तो सोते हुए को भी कोई उठाने नहीं आता! हँसाती थी रुलाती थी, यही तो याद है बाकी, मुझे रोते हुए को माँ कोई चुप कराने नहीं आता! तड़प उठती थी ग़र आंख से आंसू कोई टपका, अब कोई भी मेरे सर को सहलाने नहीं आता! कैसे समझूँ मैं माँ अब आ नहीं सकती "परवेज़" मुक़द्दर में तेरे जो है उसे अब कोई मिटा नहीं सकता! ©Written By PammiG "

(माँ) मुझे अब कोई भी मानने नहीं आता, तड़पते दिल को दिलासा दिलाने नहीं आता! वो तो माँ ही थी जो उठाती थी प्यार से , अब तो सोते हुए को भी कोई उठाने नहीं आता! हँसाती थी रुलाती थी, यही तो याद है बाकी, मुझे रोते हुए को माँ कोई चुप कराने नहीं आता! तड़प उठती थी ग़र आंख से आंसू कोई टपका, अब कोई भी मेरे सर को सहलाने नहीं आता! कैसे समझूँ मैं माँ अब आ नहीं सकती "परवेज़" मुक़द्दर में तेरे जो है उसे अब कोई मिटा नहीं सकता! ©Written By PammiG

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