गुलज़ार भरा है गुलों के रंग से आफताब जला है आप के | हिंदी कविता
"गुलज़ार भरा है गुलों के रंग से आफताब जला है
आप के संग से,
क्या छोड़ दोगे हाथ कभी
पूछे बावरी मलंग से,
रेशमी तार सी नाज़ुक
मन में हलचल तरंग से,
मीत ये गीत ऐसे गाओ
महके गुलज़ार तेरे अंग से।"
गुलज़ार भरा है गुलों के रंग से आफताब जला है
आप के संग से,
क्या छोड़ दोगे हाथ कभी
पूछे बावरी मलंग से,
रेशमी तार सी नाज़ुक
मन में हलचल तरंग से,
मीत ये गीत ऐसे गाओ
महके गुलज़ार तेरे अंग से।