कब तक समेट कर रखोगी, मेरे अरमानों को, पलकों तले ।। | हिंदी Shayari

"कब तक समेट कर रखोगी, मेरे अरमानों को, पलकों तले ।। @ do_lafzon_ki_kahani बंद पलकों में, छुपकर रहना, मेरी आदत नहीं है ।। वर्मा_जी"

 कब तक समेट कर रखोगी,
मेरे अरमानों को, पलकों तले ।।
                                          @ do_lafzon_ki_kahani
बंद पलकों में,
छुपकर रहना, मेरी आदत नहीं है ।।

वर्मा_जी

कब तक समेट कर रखोगी, मेरे अरमानों को, पलकों तले ।। @ do_lafzon_ki_kahani बंद पलकों में, छुपकर रहना, मेरी आदत नहीं है ।। वर्मा_जी

कब तक समेट कर रखोगी,
मेरे अरमानों को, पलकों तले ।।
बंद पलकों में,
छुपकर रहना, मेरी आदत नहीं है ।।
#emotinal
#Heart
#special
#true♥️

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