खींच लाई थी मदारी को सड़क पर रोटी; सबने ने उसकी म | हिंदी Shayari

"खींच लाई थी मदारी को सड़क पर रोटी; सबने ने उसकी मजबूरी को तमाशा समझा। . ©- चाणक्य (के अनकहे लफ्ज़)"

 खींच लाई थी मदारी को सड़क पर रोटी;
 सबने ने उसकी मजबूरी को तमाशा समझा।





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©- चाणक्य (के अनकहे लफ्ज़)

खींच लाई थी मदारी को सड़क पर रोटी; सबने ने उसकी मजबूरी को तमाशा समझा। . ©- चाणक्य (के अनकहे लफ्ज़)

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