है ख्वाब टुटे मेरे, इन्हें पंख कैसे लगाऊं, आदत छुट | हिंदी शायरी

"है ख्वाब टुटे मेरे, इन्हें पंख कैसे लगाऊं, आदत छुट गयी है आपकी, मगर वो मुस्कान कहा से लाऊं। ©gunam_niru"

 है ख्वाब टुटे मेरे,
इन्हें पंख कैसे लगाऊं,
आदत छुट गयी है आपकी,
मगर वो मुस्कान कहा से लाऊं।

©gunam_niru

है ख्वाब टुटे मेरे, इन्हें पंख कैसे लगाऊं, आदत छुट गयी है आपकी, मगर वो मुस्कान कहा से लाऊं। ©gunam_niru

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