बहुत बैचेन हूं मैं रब दिखता नहीं। बादल घने हैं चां | हिंदी Shayari Vid

"बहुत बैचेन हूं मैं रब दिखता नहीं। बादल घने हैं चांद अब दिखता नहीं।। है मौजूद जब तलक कोई फ़िक्र नहीं। फ़र्क पड़ता है कोई जब दिखता नहीं।। है मेरे भीतर एक शून्य, शांति का शोर। मुझमें भरा है लबा लब दिखता नहीं।। ये चाहत ये नफ़रत ये ख्वाब हैं सब। सत के बाद ये सब दिखता नहीं।। जैसी आंख है वैसा ही मंजर यहां। एक जैसा तो सब दिखता नहीं।। जबसे देखा है उसे बंद आंखों से। उसके सिवा कुछ और अब दिखता नहीं।। @rajat.kaim.poetry . . . . ©Rajat.kaim.poetry "

बहुत बैचेन हूं मैं रब दिखता नहीं। बादल घने हैं चांद अब दिखता नहीं।। है मौजूद जब तलक कोई फ़िक्र नहीं। फ़र्क पड़ता है कोई जब दिखता नहीं।। है मेरे भीतर एक शून्य, शांति का शोर। मुझमें भरा है लबा लब दिखता नहीं।। ये चाहत ये नफ़रत ये ख्वाब हैं सब। सत के बाद ये सब दिखता नहीं।। जैसी आंख है वैसा ही मंजर यहां। एक जैसा तो सब दिखता नहीं।। जबसे देखा है उसे बंद आंखों से। उसके सिवा कुछ और अब दिखता नहीं।। @rajat.kaim.poetry . . . . ©Rajat.kaim.poetry

#Barsaat

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