: दुश्मन हजार घर भी शीशे का है तुम्हारा, ये जानते | हिंदी शायरी

": दुश्मन हजार घर भी शीशे का है तुम्हारा, ये जानते हो फिर भी पत्थर उठा रहे हो।। हर मोड़ पर खड़े हैं कातिल छुपाए खंजर, किस पर यकीन कर तुम बेखौफ जा रहे हो। ©SHANU KI सरगम"

 : दुश्मन हजार घर भी शीशे का है तुम्हारा,
ये जानते हो फिर भी पत्थर उठा रहे हो।।
हर मोड़ पर खड़े हैं कातिल छुपाए खंजर,
किस पर यकीन कर तुम बेखौफ जा रहे हो।

©SHANU KI सरगम

: दुश्मन हजार घर भी शीशे का है तुम्हारा, ये जानते हो फिर भी पत्थर उठा रहे हो।। हर मोड़ पर खड़े हैं कातिल छुपाए खंजर, किस पर यकीन कर तुम बेखौफ जा रहे हो। ©SHANU KI सरगम

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