जब एक जुगनू के स्वागत में वो तारा महफ़िल सजाया रहा | हिंदी कविता

"जब एक जुगनू के स्वागत में वो तारा महफ़िल सजाया रहा खुद निशा ने थी जिसको लोरी सुनाई चांदनी ने वो खुशबू उसी से तो पायी जो निरंतर जगा जीवन को जगाने के लिए वो राधा का कान्हा था जो जन्मा सृष्टि रक्षा के लिए ©Ika"

 जब एक जुगनू के स्वागत में वो तारा महफ़िल सजाया रहा
खुद निशा ने थी जिसको लोरी सुनाई
चांदनी ने वो खुशबू  उसी से तो पायी
जो निरंतर जगा
जीवन को जगाने के लिए
वो राधा का कान्हा था
जो जन्मा सृष्टि रक्षा के लिए

©Ika

जब एक जुगनू के स्वागत में वो तारा महफ़िल सजाया रहा खुद निशा ने थी जिसको लोरी सुनाई चांदनी ने वो खुशबू उसी से तो पायी जो निरंतर जगा जीवन को जगाने के लिए वो राधा का कान्हा था जो जन्मा सृष्टि रक्षा के लिए ©Ika

राधा का श्याम

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